जब गीत कोई गाता है
वर्षा में नहाए तन-सा
मन भीग मेरा जाता है |
वे कौन सी यादें हैं जो
घिरती हैं घटा-सी मन में |
कुछ ऐसी भी छबियां हैं जो
बस जाती मन दर्पण में |
कोई भूला हुआ एक सपना
तब याद मुझे आता है |
संध्या के उदास क्षणों में
बजता है कहीं इकतारा |
खिड़की से उतर आता है
कमरे में मेरे एक तारा |
बनकर नयन जल झिलमिल
पलकों से छलक जाता है |
रेशम के बुने चिकने पल
हाथों से फिसल जाते हैं |
पांवों के निशां रह जाते
और लोग निकल जाते हैं |
लगता है उन्हीं चिह्नों पर
पग धरता कोई आता है |
जब गीत कोई ...........