ज़िन्दगी
निरंतर बहने वाली नदी का स्वरुप है जिसे पहाड़ों, गह्वरों, ऊबड़ खाबड़
रास्तों, सुंदर मधुबनों आदि सभी के बीच से रास्ता बनाते हुए बस बहते ही
रहना होता है| ज़िन्दगी को कई परिभाषाएँ दी जाती हैं यथा, ज़िन्दगी संघर्ष
है, ज़िन्दगी परिवर्तन का दूसरा नाम है, ज़िन्दगी एक पहेली है, इत्यादि |
पर इसी संघर्षपूर्ण ज़िन्दगी में प्यार, शांति व सुकून की रिमझिमी फुहार बरसाने कभी कभी कुछ ख़ास दिन/अवसर श्रावणी मेघ बन आते हैं, आनंद रस बरसाते हैं औ' दिन बीतने के साथ ही साथ चले भी जाते हैं| छोड़ जाते हैं अपने पीछे सरस यादों के सैलाब |यही यादें तो जीने का सरमाया हैं | अगरचे यादें न होतीं तो जीवन `आज' की उथल-पुथल में आकुल-व्याकुल सा बना रहता|
दोस्तों, `आज' तो हम सभी को जीना ही है पूरी कर्मठता के साथ,,,अलग अलग रंगों की छाया में | जहाँ `आज' का कैनवास खूबसूरत रंगों से सजा है, शायद वहां अतीत के रंगीन और भविष्य के सुनहले पन्नों की ज्यादा ज़रुरत नहीं पड़ती,,,| लेकिन जहाँ `वर्तमान' की किताब में तस्वीरें कम और काले हर्फ़ ज्यादा हैं, वहां `बीते कल' के रंग उभर आते हैं और सुंदर तस्वीरें उकेरने लगते हैं | मायूस ज़िन्दगी कल-कल ध्वनि के साथ बहने लगती है,,,अँधेरे साए डराते नहीं हैं |
इसलिए ज़रुरत है इन ख़ास दिनों व पलों को मानस-पटल पर समेटने और सहेजने की, ज़ेहन में कैद कर रखने की ताकि यही पल कल हमारी अँधेरी रहगुज़र में दीपक बन सकें | इनकी महत्ता को कम ना आँकिए| रचिए इन दीपों की एक अवली को जो पूर्णतः आपकी हो औ' अमावसी पलों में आपके जीवन-पथ को आलोकित करती रहे |
ज़िन्दगी के ख़ास लम्हों को ऋणात्मक मोड़ देकर ज़िन्दगी को चुकने मत दीजिये वरन उन्हें एक धनात्मक एवं सकारात्मक भाव से ज़िन्दगी की किताब में एक परिशिष्ट बना संयोजित कर लीजिये |
_____हिमांशु महला
पर इसी संघर्षपूर्ण ज़िन्दगी में प्यार, शांति व सुकून की रिमझिमी फुहार बरसाने कभी कभी कुछ ख़ास दिन/अवसर श्रावणी मेघ बन आते हैं, आनंद रस बरसाते हैं औ' दिन बीतने के साथ ही साथ चले भी जाते हैं| छोड़ जाते हैं अपने पीछे सरस यादों के सैलाब |यही यादें तो जीने का सरमाया हैं | अगरचे यादें न होतीं तो जीवन `आज' की उथल-पुथल में आकुल-व्याकुल सा बना रहता|
दोस्तों, `आज' तो हम सभी को जीना ही है पूरी कर्मठता के साथ,,,अलग अलग रंगों की छाया में | जहाँ `आज' का कैनवास खूबसूरत रंगों से सजा है, शायद वहां अतीत के रंगीन और भविष्य के सुनहले पन्नों की ज्यादा ज़रुरत नहीं पड़ती,,,| लेकिन जहाँ `वर्तमान' की किताब में तस्वीरें कम और काले हर्फ़ ज्यादा हैं, वहां `बीते कल' के रंग उभर आते हैं और सुंदर तस्वीरें उकेरने लगते हैं | मायूस ज़िन्दगी कल-कल ध्वनि के साथ बहने लगती है,,,अँधेरे साए डराते नहीं हैं |
इसलिए ज़रुरत है इन ख़ास दिनों व पलों को मानस-पटल पर समेटने और सहेजने की, ज़ेहन में कैद कर रखने की ताकि यही पल कल हमारी अँधेरी रहगुज़र में दीपक बन सकें | इनकी महत्ता को कम ना आँकिए| रचिए इन दीपों की एक अवली को जो पूर्णतः आपकी हो औ' अमावसी पलों में आपके जीवन-पथ को आलोकित करती रहे |
ज़िन्दगी के ख़ास लम्हों को ऋणात्मक मोड़ देकर ज़िन्दगी को चुकने मत दीजिये वरन उन्हें एक धनात्मक एवं सकारात्मक भाव से ज़िन्दगी की किताब में एक परिशिष्ट बना संयोजित कर लीजिये |
_____हिमांशु महला