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दिल के दरीचे में




बड़े जतन से महफ़ूज़ रखा है दिल के दरीचे में,



ना जाने किस जनम से महकती तेरी यादों को |



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शबोसहर बस एक बेकली सी है मन में,



न तुझे याद करते बनता है, न बिसराते | 



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दुनिया समझती है तन्हा



इस दिल-ए-नाचीज़ को |



उन्हें क्या खबर कि



आबाद है ये हर सू



किसी के ख़याल से |


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