थकन भरी साँसों को
चलिए, कुछ आराम दें,,,
भाग-दौड़ की तपती-
धूप को बिसरा, ज़रा
चैन की ठंडी साँस लें,,,
मसरूफ़ियत के तूफां में
ज़रा देखिये तो
यहाँ-वहाँ बिखर गए हैं पल,,,
इन पलों को बटोर
सांझ के चम्पई दरीचे में
आइये, करीने से जचा दें,,,
भूल नाउम्मीदी के सितम
आस के इंद्रधनुष से
नींद की रंगोली सजा दें |
____हिमांशु
शुभ रात्रि मित्रगण,,