फिर आने को है एक छुट्टी का मौसम |
फिर आने को है एक छुट्टी का मौसम
ऋतुओं में सबसे सुंदर-सुहाना मौसम |
अपना, सिर्फ अपना-सा दिन, नहीं पराया,
ज़्यादा ही नर्म-रेशमी, अलहदा-सी सुबहा|
गुनगुनी-किरणें रोम-रोम पुलकित करतीं
पंछियों की गुंजार, कानों में रस घोलतीं |
ना ही मन में हलचल, ना कोई द्वंद्व छाया
चारों ओर फैला सिर्फ सुकून का सरमाया
साफ़-सुथरा मौसम हर सू आंगन में छाया
सलोनी-शांत सुबहा है, शांत सारा आलम |
उफ़क की छटा तो जैसे बिलकुल निराली
लाल, गुलाबी, पीले रंग बिखरे, रे आली!
चल दौड़ ना! जितना हो समेट, सहेज ये पल
बिताने छह दिन इन्हीं सहारे,भर ले आँचल|
_____हिमांशु
फिर आने को है एक छुट्टी का मौसम |