आधे चाँद की अधूरी सी कहानी,
शाख़-ए-गुल पे झुका हुआ
सुना रहा है चाँद,,,
झिलमिलाते तारों से घिरा
दर्दीली मुस्कान तले, कोई
तड़प छुपा रहा है चाँद,,,
यूँ तो आसमाँ की ज़ुबानी
सुनते ही आये हैं
चाँद की फ़ितरत सुहानी,,,
कभी चौदहवीं का, तो कभी
पूनम का रूप लिए,
गगन सजा रहा है चाँद,,,
बेसबब मुस्कान ओढ़े
दाग़ दामन पे सजा
रौशनी छिटका रहा है चाँद,,,
____हिमांशु
सुनते ही आये हैं
चाँद की फ़ितरत सुहानी,,,
कभी चौदहवीं का, तो कभी
पूनम का रूप लिए,
गगन सजा रहा है चाँद,,,
बेसबब मुस्कान ओढ़े
दाग़ दामन पे सजा
रौशनी छिटका रहा है चाँद,,,
____हिमांशु