यूँ तो आज से भी कोई शिकायत नहीं मुझको,
लेकिन गुज़रा वक़्त अक्सर याद आ जाता है |
खुद तो बेमुर्रवत जाने कहाँ गए वो मंज़र,
ख़्वाबों में दास्तानें न जाने क्यूँ भेज देते हैं ?
कितनी शिद्दत है बचपन की हसीन यादों में,
आँखों में दर्द का इक सैलाब-सा भेज देती हैं |
वक़्त के साथ देखिये कितना कुछ बदल गया है
आईना भी बेतक़ल्लुफ़ ज़रा कम ही मुस्कुराता है |
___हिमांशु
ख़्वाबों में दास्तानें न जाने क्यूँ भेज देते हैं ?
कितनी शिद्दत है बचपन की हसीन यादों में,
आँखों में दर्द का इक सैलाब-सा भेज देती हैं |
वक़्त के साथ देखिये कितना कुछ बदल गया है
आईना भी बेतक़ल्लुफ़ ज़रा कम ही मुस्कुराता है |
___हिमांशु