लो आ ही गयी
सप्ताह से प्रतीक्षित
सलोनी सुंदर
रविवार की भोर |
एक अलसाई-सी
अंगड़ाई ले उठीं
उषा, अरुणा औ'
प्यारी-सी आभा |
एक ठहराव लेकर
चल रहा सूरज भी
मानों कह रहा हो
साँस लो जी भर-भर |
पुरबाई भी अलसाई-सी
उलझी है शाखों में,
रुक-रुक के उमग रही
फूलों औ' बागों में |
एक नयी-सी उमंग
भर देती रोम-रोम में,
एक पूरा दिन कर देती
जन-जन के नाम ये |
तो चलिए जी भर के
आनंद ही आनंद उठाइए,
हँसिये-खेलिए बच्चों संग
नए पकवान भी खाइए |
शुभ-दिन, शुभ-शुभ रविवार!
_____हिमांशु
सप्ताह से प्रतीक्षित
सलोनी सुंदर
रविवार की भोर |
एक अलसाई-सी
अंगड़ाई ले उठीं
उषा, अरुणा औ'
प्यारी-सी आभा |
एक ठहराव लेकर
चल रहा सूरज भी
मानों कह रहा हो
साँस लो जी भर-भर |
पुरबाई भी अलसाई-सी
उलझी है शाखों में,
रुक-रुक के उमग रही
फूलों औ' बागों में |
एक नयी-सी उमंग
भर देती रोम-रोम में,
एक पूरा दिन कर देती
जन-जन के नाम ये |
तो चलिए जी भर के
आनंद ही आनंद उठाइए,
हँसिये-खेलिए बच्चों संग
नए पकवान भी खाइए |
शुभ-दिन, शुभ-शुभ रविवार!
_____हिमांशु