प्राकृतिक नायिकाएँ
उषा, अरुणा, आभा,,,,
तीनों जानी पहचानी |
हर रात के बाद
आतीं हैं रोज़
दुनिया को जगाने,
रात की सियाही से
सबको बाहर निकालने|
उषा, अरुणा और आभा
सूरज की तीनों ये बहनें
भाई को राह दिखातीं ऐसे--
तम से भय की भीत भगाने
सबसे पहले आती उषा,,,
सुरमई परिधान में
सजी सँवरी,
आँचल में
उजाले की पिटारी लिए
अन्धकार को समेटती
तारों को बटोरती |
मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारों में
भक्ति की अलख बिखेरती|
पीछे पीछे आती अरुणा
रक्त वर्ण के परिधान में
सजी नवेली न्यारी अरुणा,
अरुणिमा कपोलों पर सजाए
अरुण की लाली लाती अरुणा,
नभ के सुन्दर कैनवास पर
मंजुल रंग बिखराती अरुणा,
निद्रा के आगोश से निकाल
जग चेतन बनाती अरुणा |
अरुणा के आँचल को पकड़े
पीछे पीछे आता दिनकर |
दिनकर की उँगली को थामे
ठुमक ठुमक कर आती आभा
सब रोशन कर जाती आभा
सारे संशय झुठलाती आभा,
जग की विरमित रुद्ध चाल को
कर्मशील गति देती आभा |
भाई को उसकी राह दिखाकर
घर अपने लौट जाती आभा |
(भाई-बहन के आचरण में
कितना सुंदर तालमेल है !)
____हिमांशु महला