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फिर देख बहारें आएंगी,,,,,,

ऐ दिल! ज़रा सा सब्र तो कर
न हो मायूस इंतेशार मंज़र पर |
जब ख़त्म खिजाँ हो जाएगी
तब रंग ज़र्द-बियाबाँ लाएगा
जो आज बहार का मदफ़न है
वो ही बन फुलवारी आएगा |

ऐ दिल! ज़रा सा सब्र तो कर
न हो मायूस उजड़े इस मंज़र पर |
इस वीरान चमन की रग-रग में
फिर मौज-ए-रवानी आएगी
आरिज़ पे सुर्खी छाएगी
कलियों पे जवानी आएगी |
ऐ दिल! ज़रा सा सब्र तो कर
न हो मायूस बेखानुमा मंज़र पर |
खुशबू से पगी रंगों से बुनी
फूलों की कतारें आएँगी
ऐ वादे-सहर मायूस ना हो

फिर देख बहारें आएंगी |
_____हिमांशु महला
(इंतेशार-कुम्हलाया, आरिज़-गाल, बेखानुमा-बेघर)

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