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ऐ मन! चल कहीं दू SSSSSS र चल के आएँ

ऐ मन!
चल कहीं दू SSSSSS र चल के आएँ |

छोड़ यहीं पर ही,
बुद्धि की गलियाँ,
नीरस निठुर दुनियाँ,
रिश्तों की भूलभुलैयाँ,
किताबों की कहबतियाँ
औ,
ज्ञान की फुलझड़ियाँ,
ऐ मन!
चल कहीं दू SSSSSS र चल के आएँ |

रिमझिमी फुहार में,
वासंती बयार में,
तारों की छाँव में
बादलों के गाँव में
चंदा के नगर
या फिर
हवा की डगर,,,,
ऐ मन!
चल कहीं दू SSSSSS र चल के आएँ |

कुछ झूमें,
कुछ गाएँ,
हवाओं संग लहराएँ,
आसमान की गलियों में,
चटकीले तारों की
मनभावन नगरियों में,
चल कुछ दिन बिताएँ,
ऐ मन!
चल कहीं दू SSSSSS र चल के आएँ |

चिंता की गठरी
रख ऊपर की ताक पे,
चंदा की सुमधुर
शीतल चांदनी से,
दिल के घावों पे
चल कुछ
मलहम लगवाएँ,,,
ऐ मन!
चल कहीं दू SSSSSS र चल के आएँ |

कुछ उसकी सुनें
कुछ अपनी सुनाएँ,
दिल के साज़ पे
ज़रा फिर से गुनगुनाएँ,
चल ना, चल ना
ऐ मन!
हम भीइक पिकनिक मनाएँ,,,
ऐ मन!
चल कहीं दू SSSSSS र चल के आएँ |

_____हिमांशु

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